पहलू भी शिकस्ता है

 





पहलू भी शिकस्ता है - तुरबत भी शिकस्ता है

क्या हाल ये उम्मत ने ज़हरा का बनाया है


ख़ातून कोई ग़म से यूं चूर नहीं देख़ी

ऐसी कोई दुनिया में मस्तूर नहीं देख़ी

अट्टारा बरस में ही लगती जो ज़ईफा है

पहलू भी शिकस्ता है - तुरबत भी शिकस्ता है


दरबार में ज़ालिम ने की ऐसी पज़ीराई

किस तरह से तू बीबी फिर लौटके घर आयी

बालों की सफेदी ने सब हाल सुनाया है

पहलू भी शिकस्ता है - तुरबत भी शिकस्ता है


तू रोती रही घर में हैदर से भी छुप छुप के

इस्मत की तरह दुख भी परदे में रहे तेरे

कुछ दर्द मेरी बीबी बस जानती फ़िज़्ज़ा है

पहलू भी शिकरता है - कुर्बत भी शिकस्ता है


दो ऐसे जनाज़े हैं तारीकी में जो उट्ठे

बस घर की ही लोगों ने दोनों को दिए कांधे

इक फ़ातेमा जहरा है इक बली सकीना है

पहलू भी शिकस्ता है तुरबत भी शिकस्ता है


मरहम तेरे ज़ख़्मों का बीबी न मिला अब तक

औलादे उमय्या की बाक़ी है जफ़ा अब तक

रोने पे भी पहरा था तुरबत पे भी पहरा है

पहलू भी शिकस्ता है - तुरबत भी शिकस्ता है


मिस्मार तेरा रौज़ा उम्मत ने किया जब से

बाबा तेरा रहता है तुरबत पे तेरी तब से

कब गुम्बदे ख़िज़रा में बाबा तेरा रहता है

पहलू भी शिकस्ता है - तुरबत भी शिकस्ता है


मेहंदी से कोई पूछे क्या उस पे गुज़रती है

आवाज़ बक़इय्या से जब रोने की आती है

आंखों से लहू रोकर वो भी ये ही कहता है

पहलू भी शिकस्ता है - तुरबत भी शिकस्ता है


तस्वीर हक़ीक़त की ख़्वाबों को बना दीजिये

ऐ बीबी तकल्लुम को ताबीर दिखा दीजिये

मातम तेरी तुरबत पे होते हुए देखा है


पहलू भी शिकस्ता है - तुरबत भी शिकस्ता है



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